Friday 16 March 2012

स्वर अंकिता

अंकिता पंवार
पहाडो के प्रदेश देवभूमि उत्तराखंड की उभरती हुई कवियत्री हे अंकिता पंवार. आपका जन्म जनपद टिहरी गडवाल के भरपुरिया गावं , ल्म्ब्गावं में १२ दिसम्बर १९९० को हुआ. और यहीं से आपने स्नातक की पढाई पूरी की.
वर्तमान समय में आप पुण्यभूमि ऋषिकेश में निवास करती हे. आप की कवितायं लमही, वागर्थ, साछात्कार, कव्यसरोवर और लोकगंगा जेसी प्रतिष्ठित पत्रिकायों में प्रकाशित हो चुकी हे.
यहाँ पर आपकी कुछ कवियायं प्रस्तुत हे.



 1) एक दुनिया प्रेम की


हे प्रिये
महसूस करो
तुम्हे बुलाती हे
मेरी कोहरे में लिपटी हुई
वो शामे
जब भी होती हु में
गंगा तट पर निहारते हुए
खुद से ही बेखबर
प्रेमियों को
और उसी वक़्त
रच रहा होता हे कोई चित्रकार
छितिज के केनवास पर
एक दुनिया प्रेम की
उस पर विस्वास की
यही तो सबसे सुन्दर रूप हे
जीवन का
उसे जी भर जी लेने दो
आंकंछाव को
तभी तो कहती हु
तुम भी जरा चुरा लेना कुछ वक़्त
घडी की सुइयों से
और दूर आकाश से
कुछ सफ़ेद बदल
जिस पर रच सके , हम
दोनों मिलकर कोई
सुन्दर कविता जीवन की



2) अनछुई पत्तिया


मेरे जीवन की
उन्चुई पत्तियों को
सिचने लगे हो तुम
सर्द पूनम की रत की ओस बनकर
तुमसे ही तो लगता हे
ये पुष्प यूँ ही पल्लवित होते रहेंगे
जेसे होते हे पल्लैत
तुम्हारे शब्द मेरी साँसों में- गहन पथ पर
एहसासों के झरने में भीज कर
यु ही विचरते रहना तुम
ऊँचे डंडों में
बांज बुरांस की डालो पर
क्योंकि तुम्हारे स्पंदन को
सुन लेती हु में
चीड की हावावो में
घुघुत्तियो के गीतों में
जिनसे गुज़र कर ही
में आज समेट पाई हु
इस आथाह 
प्रेम संसार को
अपनी नन्ही हथेलियों में



3) जीवन एक रहस्य


जीवन का भी अजीब रहस्य हे
जहाँ टूटते और बिखरते सपने हे
घोर निराशा और तड़प के बिच में
फूटती उम्मीदों की किरने हे
जो भर देती हे चाँद लम्हों की खातिर
फिर उसी क्रम में लगातार बेचेनिया और आशय हे
इस तरह से मनुष्य का
टूटने व जुड़ने का सिलसिला जारी हे




Ankita Panwar
C/O Uday Panwar
Bharatvihar, near Rishi gas godam
Haridwar Road, Rishikhsh
Uttrakhand - 249201
09536914949






   

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