Sunday 18 March 2012

Swar Ankita

प्रस्तुत हे अंकिता पंवार की एक भावपूर्ण कविता 




अधूरी ख्वाहिश


एक तमन्ना हे जो बढाती हे कदम
ख्वाहिश हे ये इसी जो अधूरी हे हरदम
पल दिन क्या कहें कहीं गुज़रे तो नहीं
होश आया जब तो वो थे या नहीं
एक कशिश थी पल की उसमे जिन्दगी तो नहीं
अक्स के ख्वाब साहिल हे या नहीं
एक तमन्ना हे जिन्दगी जो हकीक़त हे या नहीं
अक्स हे जिन्दगी इसका, कोई मंजिल हे भी या नहीं.


ANKITA PANWAR
C/O UDAY PANWAR
BHARATVIHAR
NEAR - RISHI GAS GODAM
HARIDWAR ROAD
RISHIKESH - 249201
UTTARAKHAND
09536914949



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