Friday 1 June 2012

साँझ: साँझ,जून २०१२-सामग्री

साँझ: साँझ,जून २०१२-सामग्री: अतीत से में - शहरयार, अदम 'गोंडवी', फिराक गोरखपुरी, और परवीन शाकिर   काव्य धरा में - संजय वर्मा 'दृष्टि', विनीता जोशी, सबा युनुस, सफल...http://emagzinesanjh.blogspot.com

Saturday 5 May 2012

Ankita Panwar



आज का सच


किसी भी शब्द के 
सबके लिये भिन्न-भिन्न अर्थ होते हैं
मैं तुमसे पूछना चाहती हूँ- प्रेम क्या है?
शब्दों को दो-तीन बार दोहरा देना ही
यही सोचते हो तुम
सुनने व समझने का 
वक्त ही कहां है तुम्हारे पास
तुम हो चुके हो शामिल उन लोगों में
जिन्हें सिर्फ भौतिकता ने जकड़ रखा है
जीवन का एक संवेदनात्मक पक्ष भी है
जो कि मेरे भीतर अब भी जिन्दा है
तुम तो हो गये हो आदी बाजार के
परन्तु मैं अब भी वहीं हूँ
प्रकृति की छांव में, गांव की मांटी में
हमारा तो अब कोई मेल भी नहीं
सिर्फ एक नाम का रिश्ता है
जो कि आज हर शख्स का एक कड़वा सच है! 


  • द्वारा श्री उदय पंवार, भरत विहार, निकट ऋषि गैस एजेन्सी, हरिद्वार रोड, ऋषिकेश-249201(उ.खंड)

Thursday 3 May 2012

साँझ, मई २०१२


साँझ के मई २०१२ के अंक में,
अतीत से, में शहरयार की ग़ज़ल और परवीन शाकिर की नज़्म.
कव्यधरा में, अंकिता पंवार, विनीता जोशी,सुधीर मौर्या 'सुधीर' की कवियाये और बरकतुल्ला अंसारी की ग़ज़ल.
कथासागर में, सुधीर मौर्या 'सुधीर' की लघुकथा. 




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Wednesday 4 April 2012

Ankita Panwar



आज प्रस्तुत हे उत्तराखंड की  कवियत्री अंकिता पंवार की भाव पूर्ण रचना.


Ankita Panwar


गरीबी दुष्चक्र


प्रति छन प्रत्यक  जगह एक से हालात नहीं होते
जब कुछ लोग चैन से होते हे
तो कहीं होती हे
दिल दहला देने वाली चीत्कारें
कहीं उम्मीद दूर रही होती हे
और कहीं भ्रस्टाचार की साड़ी सीमाए
चमचमाती भारतीय अर्थव्यवस्था को जब
ओबामा भी सलाम कर रहा हे,तब
भी गरीब व्यक्ति रोटी व छत के अभाव में
गर्मी
सर्दी
बरसात
जेसे प्राकृतिक आपदाव
में शहीद होकर पुलिश का नया केश
मीडिया की ब्रेअकिंग न्यूज़
नेताजी के लिए नया मुद्दा
बनकर
सबकी नय्या पार लगता रहा हे
परन्तु स्वयम गरीबी के दुश्चक्र
के कारन व परिणाम
'गरीबी' के फेर में
पिसता रहा हे.



Monday 2 April 2012

Ankita Panwar

उजाड़ कुछ भी नहीं होता


मेरी बंद पड़ी कलम आज कुछ लिखना चाहती 
 हे
और वो स्याही मिल गई हे तेरे एहसासों में
जो कुछ अरसे से सूख गई थी
अब ये शब्द एक लंबा सफ़र तय करना चाहते हे
वहां तक जहाँ तुम हो
मेरी आत्मा में जो कम्पन हो रहा हे
उसमे से कुछ ध्वनियाँ निकलना चाह रही हे
छितिज  से दूर फेलकर
समस्त कायनात में ये सन्देश देने
की
उजाड़ कुछ भी नहीं होता
कभी भी कही भी अनायास ही
शीशियो में बंद पड़े शब्द उभर ही आते हे
और होसलो से बंद पड़ी राहे
भी
स्वय ही खुल जाती हे


Ankita Panwar
ankitapanwar12@rediffmail.com

Thursday 29 March 2012

Ankita Panwar


आप की कवितायों में बहुत गहराई हे. प्रस्तुत कविता आपकी उच्च काव्य प्रतिभा का एक उदहारण मात्र हे, मुजे विश्वास हे आपकी ये कविता आप के रचनात्मक जीवन में मील का पत्थर साबित होगी. प्रस्तुत हे अंकिता पंवार की एक भावपूर्ण कविता......


समर्पण


ऊँचे पहाड़ की चोटी से निकलते सूरज की
खुबसूरत हलकी गुनगुनी धूप
पहाड़ के उस हिस्से की हरियाली
कुछ ही दूर बिछी हुई कोहरे की चादर
कही भीतर फूटता हुआ झरना
और निरंतर बढता हुआ आगे की और
में मानती हूँ की यूं प्रक्रति प्रेमी हो
चाहते हो ताउम्र निहारना
पर उससे पहले मेरी भी कुछ सुन लो
पहाड़ सिर्फ स्वम ही पहाड़ नहीं होते
ये जिन्दगी को भी पहाड़ बना देते हे
हर उस शख्स को जो उनसे जुड़ जाय
पर कही ये न समझना की वो इनकी साजिश हे
क्या इनकी अपनी कोई वेदना नहीं हो सकती
स्वम में साड़ी विक्त्ताय समेटे हुए
सुकून देते रहे लम्बी अवधि तक
ये भी वो मुमकिन नहीं
में भी तो अब विकट हो चली हु इन सब में
इस धरती की पैदाइश रही हूँ
अपनी इच्छा तो समर्पण की हे सदा से
परन्तु अब मुझे भी चाहिए 
सच में किसी का निश्चल समर्पण
पहाड़ भी तो मांगते हे समर्पण कठोर जिन्दगी का
तो फिर में क्यों न मंगू ?
अब तुम्हे भी तो कुछ चुकाना होगा
वरना कही में भी भूल न जाऊ समर्पण का अर्थ.


ANKITA PANWAR
BHARATVIHAR NEAR RISHI GAS GODAM
HARIDWAR ROAD, RISHIKESH- 249201
ankitapanwar12@rediffmail.com

Friday 23 March 2012

Ankita Panwar

शब्दों की दुनिया


पदचाप तुम्हारी
सुनी हे अक्सर
उन लहरों पर
जी पर कोंधता हे
सूर्य का प्रकाश
कितनी उजली हे ये राहें
जी पर फेली हे घास
कुछ एहसासों की
चरवाहा लौटा हे जब गुजरकर
और कोई घस्यारिन बेठी हे
सुस्ताने को उनकी थकान
और आंकंछाओ का मधुर समय होता हे
वो
और कितनी समानता हे हम में
देखो तो
जो सर पर लाती हे पानी की गागर
और प्यासे पहाडो को कर देती हे
जीवन समिर्पित
बिलकुल ऐसे ही
जेसे
में करती हूँ तुम्हे समिर्पित
अपनी शब्दों की दुनिया को


Ankita Panwar
C/O Uday Panwar
Bharatvihar, near Rishi gas godam
Haridwar Road, Rishikesh
Uttrakhand - 249201
09536914949