शब्दों की दुनिया
पदचाप तुम्हारी
सुनी हे अक्सर
उन लहरों पर
जी पर कोंधता हे
सूर्य का प्रकाश
कितनी उजली हे ये राहें
जी पर फेली हे घास
कुछ एहसासों की
चरवाहा लौटा हे जब गुजरकर
और कोई घस्यारिन बेठी हे
सुस्ताने को उनकी थकान
और आंकंछाओ का मधुर समय होता हे
वो
और कितनी समानता हे हम में
देखो तो
जो सर पर लाती हे पानी की गागर
और प्यासे पहाडो को कर देती हे
जीवन समिर्पित
बिलकुल ऐसे ही
जेसे
में करती हूँ तुम्हे समिर्पित अपनी शब्दों की दुनिया को
पदचाप तुम्हारी
सुनी हे अक्सर
उन लहरों पर
जी पर कोंधता हे
सूर्य का प्रकाश
कितनी उजली हे ये राहें
जी पर फेली हे घास
कुछ एहसासों की
चरवाहा लौटा हे जब गुजरकर
और कोई घस्यारिन बेठी हे
सुस्ताने को उनकी थकान
और आंकंछाओ का मधुर समय होता हे
वो
और कितनी समानता हे हम में
देखो तो
जो सर पर लाती हे पानी की गागर
और प्यासे पहाडो को कर देती हे
जीवन समिर्पित
बिलकुल ऐसे ही
जेसे
में करती हूँ तुम्हे समिर्पित अपनी शब्दों की दुनिया को
Ankita Panwar
C/O Uday Panwar
Bharatvihar, near Rishi gas godam
Haridwar Road, Rishikesh
Uttrakhand - 249201
09536914949
nice ... !!
ReplyDeletethanx
Deleteबहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!
dhanyawad shashtri sir
ReplyDelete