Friday 23 March 2012

Ankita Panwar

शब्दों की दुनिया


पदचाप तुम्हारी
सुनी हे अक्सर
उन लहरों पर
जी पर कोंधता हे
सूर्य का प्रकाश
कितनी उजली हे ये राहें
जी पर फेली हे घास
कुछ एहसासों की
चरवाहा लौटा हे जब गुजरकर
और कोई घस्यारिन बेठी हे
सुस्ताने को उनकी थकान
और आंकंछाओ का मधुर समय होता हे
वो
और कितनी समानता हे हम में
देखो तो
जो सर पर लाती हे पानी की गागर
और प्यासे पहाडो को कर देती हे
जीवन समिर्पित
बिलकुल ऐसे ही
जेसे
में करती हूँ तुम्हे समिर्पित
अपनी शब्दों की दुनिया को


Ankita Panwar
C/O Uday Panwar
Bharatvihar, near Rishi gas godam
Haridwar Road, Rishikesh
Uttrakhand - 249201
09536914949



4 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete